भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरू के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ऐसे 13वें प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने सफलतापूर्वक दो दस वर्षीय कार्यकाल (2004 -2014) पूरा किया था। बेशक़ डॉ. सिंह अत्यंत विनम्र और अराजनैतिक प्रधानमंत्री थे, लेकिन देश में आधुनिक आर्थिक सुधारों के सफलतम अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री थे। मेरी दृष्टि में, डॉ. सिंह उत्तर- इंदिरा+राजीव काल के राजनेता प्रधानमंत्रियों (विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव, देवगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल और अटलबिहारी वाजपेयी) से अधिक सक्षम रणनीतिकार प्रधानमंत्री सिद्ध हुए, जिन्होंने गठबंधन सरकार का निरंतर दस सालों तक संचालन किया। इसके विपरीत उनके 6 पूर्ववर्ती खांटी राजनीतिक प्रधानमंत्रियों में से कोई भी दस वर्ष तक शासन में नहीं रह सका था; राव और वाजपेयी को छोड़ शेष चार प्रधानमंत्री (सिंह, चंद्रशेखर, गौड़ा और गुजराल) दो वर्ष भी प्रधानमंत्री की गद्दी पर नहीं टिक सके; प्रधानमंत्री आते -जाते रहे और देश में अल्पावधि चुनाव (1991 व 98) होते रहे। इस दृष्टि से देखें तो दिवंगत मनमोहन सिंह को कुशल राजनीतिज्ञ प्रधानमन्त्री भी कहा जाना चाहिए।
मनमोहन सिंह: मानवीय आर्थिक उदारीकरण, उदार लोकतंत्र के प्रतिनिधि थे?
- श्रद्धांजलि
- |
- |
- 27 Dec, 2024

दुनिया भर में मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों के जनक और उदारीकरण के पक्षधर के तौर पर जाना जाता है। तो वह आख़िर किस तरह के अर्थव्यवस्था और उदारीकरण की वकालत करते थे? जानिए, रामशरण जोशी उनको कैसे याद करते हैं।
2004 के चुनावों में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के नेतृत्व में यूपीए (यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायन्स) गठबंधन को बहुमत मिला था। वाजपेयी -नेतृत्व का ‘चमकीला भारत और अच्छे दिन’ का नारा पिट गया था। भाजपा गठबंधन हार गया था। 2004 में कांग्रेस नेतृत्व के गठबंधन को जीत मिली थी। उस दौर में उम्मीद थी कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनेंगी। लेकिन, भाजपा की नेता सुषमा स्वराज ने उनका कट्टर विरोध किया था। धमकी दी थी कि यदि एक विदेशी को प्रधानमंत्री बनाया गया तो वे अपने सर के केश -मुंडन करवा लेंगी। लेकिन, सोनिया गांधी ने अपने स्थान पर डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री -उम्मीदवार के रूप में चुना था। सत्ता-गलियारों में चर्चा थी कि वे सुषमा की धमकी से डर गयी थीं। यह भी चर्चा थी कि तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ नहीं दिलवाएंगे क्योंकि वे वाजपेयी -काल में राष्ट्रपति बने थे।