उन्हें कभी अनमना प्रधानमंत्री (रिलक्टेंट पीएम) कहा गया, तो कभी "एक्सीडेंटल पीएम"। कुछ के लिए वे गैर राजनीतिक प्रधानमंत्री थे। कुछ के लिए 'दरबारी पीएम'। सही मायने में डॉ. मनमोहन सिंह ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिनके दस साल के कार्यकाल के दौरान देश के नागरिकों को सूचना का अधिकार अधिनियम, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, वनाधिकार अधिनियम (संशोधन), खाद्य सुरक्षा अधिनियम, भूमि सुधार एवं अधिग्रहण अधिनियम और मनरेगा जैसे आधा दर्जन से अधिक ऐसे संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार मिले, जिन पर किसी भी नागरिक को गर्व होना चाहिए। बेशक, 2009 से 2014 तक का उनका दूसरा कार्यकाल विवादों में घिरा रहा, लेकिन यह जगजाहिर हो चुका है कि जिस 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला घोटाले के कारण उनकी सरकार पर "पॉलिसी पैरालिसिस" के आरोप लगे, वे कोर्ट में दम तोड़ चुके हैं। देखते ही देखते ऐसा कथानक गढ़ा गया, जिसने उनकी छवि को दागदार बना दिया।