कल मुतरेजा दोपहर में ही टपक पड़ा। सिनेमा का मैटिनी शो देखकर लौटा था। आते ही बड़ी-बड़ी बातें फेंकने लगा। इतिहास का ज्ञान देने लगा। वह भी समकालीन राजनीति का इतिहास। जिसका चश्मदीद मैं खुद को मानता हूँ। मुतरेजा इंदिरा गांधी पर बहुत तमतमाया हुआ था। मैंने पूछा- सिनेमा देखकर लोग खुश होते हैं, तुम इतना झल्लाए हुए क्यों हो। वह बोला- सर एक बार आप भी ये फिल्म देखिए, आपका भी खून खौल उठेगा। जिस इतिहास को आजतक छिपाया गया वो फिल्म में दिखाया गया है। मैं भी सोच में पड़ गया कि ऐसी कौन सी फिल्म है जिसने तीन घंटे में मुतरेजा जैसी जड़-बुद्धि को भी इतिहासकार बना दिया। पूछा तो बोला- सर कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ देखी। मैंने कहा – मुतरेजा, ज्ञान किताबों से मिलता है और सिनेमा से प्रायःमनोरंजन। फिल्में इतिहास और यथार्थ पर भी होती हैं। हालांकि आजकल कुछ परम विद्वान सिनेमा के ज़रिए अपना इच्छित इतिहास लिख रहे हैं। इस तरह न तो वो सिनेमा बना पा रहे और न इतिहास।