देशवासियों को ‘इंक़लाब ज़िंदाबाद’ और ‘साम्राज्यवाद मुर्दाबाद’ का क्रांतिकारी नारा दे, जंग-ए-आज़ादी में निर्णायक मोड़ देने वाले शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को साल 1931 में 23 साल की उम्र में लाहौर की जेल में फांसी दे दी गई थी। भगत सिंह भारत ही नहीं, बल्कि समूचे भारतीय उपमहाद्वीप की साझा विरासत का क्रांतिकारी प्रतीक हैं।