इस बार त्रिवेणी नाट्य समारोह का समापन दादी पदमजी की पुतली प्रस्तुति `रूमियाना’ से हुआ जो सूफी शायर जलालुद्दीन रूमी के जीवन दर्शन से प्ररित है। हालाँकि ये लगभग तीन साल पुरानी प्रस्तुति है और कई जगहों पर दिखाई जा चुकी है। फिर भी इसमें ताजगी थी। सूफी संत रूमी की शायरी का संग्रह विशाल है और लगभग एक घंटे के शो में उनको समेटना बहुत कठिन है। लेकिन समानांतर रूप से ये भी सही है कि इस महान सूफी संत की हर रचना में इतना कुछ है कि एक को भी पढ़ या सुन लें तो ये अंदाजा हो जाता है कि एक छोटे से अंश में विराट समुद्र समाया हुआ है।