बीते साल गुलज़ार के साथ रामभद्राचार्य को सम्मानित कर ज्ञानपीठ ने अपनी जो जगहंसाई कराई थी, शायद उसी से मुक्त होने का प्रयास है इस वर्ष का ज्ञानपीठ सम्मान जो विनोद कुमार शुक्ल को दिया जा रहा है। निश्चय ही वे हमारी भाषा के बड़े लेखक हैं। अब तो उनकी एक अंतरराष्ट्रीय कीर्ति भी है। कुछ अरसा पहले उन्हें अमेरिका का प्रतिष्ठित पेन नाबोकोव सम्मान मिल चुका है।