धरती से बाहर कहीं और जीवन है या नहीं, यह सवाल दो स्तरों पर खोजबीन का सबब बना हुआ है। एक तो हमारे अपने सौरमंडल के भीतर, जिसके लिए सबसे ज़्यादा उम्मीद मंगल ग्रह के अलावा बृहस्पति ग्रह के चांद यूरोपा से बांधी गई है। ये वे जगहें हैं, जो भौतिक रूप में हमारी खोजबीन के दायरे में हैं। इनपर उतर कर हमारे यान खोजबीन शुरू भी कर चुके हैं। दूसरा स्तर पृथ्वी से कई प्रकाशवर्ष दूर स्थित तारों के इर्दगिर्द घूमने वाले ग्रहों का है, जो अगले कुछ सौ सालों तक शायद दूरबीनी प्रेक्षणों तक ही सिमटा रहे। लेकिन जीवन की कोई बड़ी समझ इन दूर के प्रेक्षणों पर ही खड़ी हो सकेगी। इस सिलसिले में ताजा खबर ‘एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स’ में छपी यह रिसर्च है कि दूर के ग्रहों पर जीवन के चिह्न मिथाइल क्लोराइड और मिथाइल ब्रोमाइड के रूप में खोजना कहीं बेहतर रहेगा।
कैसे पकड़ में आए एक अदद ज़िंदा ग्रह
- विविध
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- 28 Mar, 2025

एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, दूर के ग्रहों पर जीवन के संकेत मिथाइल क्लोराइड और मिथाइल ब्रोमाइड के रूप में खोजे जा सकते हैं। जानिए यह खोज कैसे बदल सकती है एक्सोप्लैनेट अध्ययन।
सबसे ज्यादा चर्चा का संदर्भ अभी सन 2015 में केपलर टेलीस्कोप द्वारा 124 प्रकाशवर्ष दूर खोजा गया एक ग्रह ‘के2-18बी’ बना हुआ है। नाम के बारे में स्पष्ट कर दें कि यहां ‘के’ केपलर के लिए आया है। केपलर टेलीस्कोप द्वारा प्रेक्षित 18वें तारे के इर्दगिर्द घूमने वाले ग्रहों में भीतर से दूसरा। बहुत दूर के तारों के इर्दगिर्द घूमने वाले ग्रहों को ढूंढकर उनके बारे में कोई ठोस निष्कर्ष निकालना वैसा ही होता है, जैसे रात में दस किलोमीटर दूर किसी घर पर जल रहे तेज बल्ब पर मंडरा रहे पतिंगों को नंगी आंखों से न सिर्फ देख लेना, बल्कि उनमें किसी एक को चुनकर उसकी नस्ल और लिंग भी तय कर देना। यह लगभग असंभव काम अभी भरोसे के साथ किया जाने लगा है। जैसे, 2019 में के2-18बी के वातावरण में जलवाष्प और 2023 में कार्बन डायॉक्साइड और मीथेन होने की पुष्टि की गई।