भारत में औसतन वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा में 5.3 वर्ष की कमी आती है। दिल्ली जैसे शहरों में तो यह कमी 11.9 वर्षों तक हो सकती है। क्या यह डरावना नहीं है?
बिहार में भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र से हिन्दू जागरण यात्रा निकालने की तैयारी कर रहे हैं। जेडीयू बेचैन है। वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामाजिक सद्भभाव का हवाला दे रही है। वो कह रही है कि हमारी सरकार सामाजिक सद्भाव के लिए काम कर रही है। बिहार के लोगों ने भी इस प्रस्तावित यात्रा पर सवाल उठाये हैं। उनका कहना है कि बिहार में भाजपा अपना चिर परिचित साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का कार्ड खेलना चाहती है। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव है।
2014 में देश की सत्ता जब कांग्रेस से भाजपा के पास पहुंची और नेतृत्व नरेंद्र मोदी के पास जा रहा था तब वैश्विक भुखमरी सूचकांक यानी जीएचआई 17.1 था। 2023 में भारत का स्कोर 29.4 था। आख़िर ऐसी स्थिति कैसे बनी?
तमिलनाडु के तंजावुर में एक छात्रा ने खुदकुशी कर ली थी। उसकी मौत के बाद भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद ने उसे धर्म परिवर्तन से जोड़ा। दो साल बाद सीबीआई जांच ने निष्कर्ष निकाला है कि छात्रा की मौत हॉस्टल वार्डन के उत्पीड़न के कारण हुई थी, न कि धर्म परिवर्तन के दबाव के कारण। जानिए पूरी कहानीः
भाजपा में हिन्दुत्व का सबसे बड़ा रक्षक साबित करने की होड़ मची हुई है। पीएम मोदी ने शनिवार को पीएम आवास में गाय के बच्चा होने का वीडियो शेयर किया और मोदी के सामने दुर्गा की मूर्ति रखी है। मोदी ने हरियाणा की चुनावी रैली में कश्मीर से धारा 370 खत्म करने के नाम पर वोट मांगे। कुछ ही देर बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में कहा कि बनारस की ज्ञानवापी को मस्जिद कहना ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
भारतीय राज्य-तंत्र का हिंदुत्ववादीकरण दस वर्षों में चरम पर पहुंच गया है। आरएसएस-भाजपा की हिन्दुत्व की नीति को अब प्रशासन के अफसरों ने अपना ली है। यह भयानक गिरावट है और इससे देश की शासन व्यवस्था को इसके नतीजे भुगतने ही होंगे। वो चाहे जिस रूप में सामने आए। जिन ताकतों को इसके खिलाफ बोलना चाहिए, खड़े होना चाहिए, उनकी चुप्पी असहनीय है। स्तंभकार और जाने-माने चिन्तक अपूर्वानंद की विचारोत्तेजक टिप्पणी सिर्फ सत्य हिन्दी परः
सावरकार ने आज़ादी से वर्षों पहले द्विराष्ट्रवाद का सिद्धांत रखा था। उनका कहना था कि भारत में हिन्दू और मुस्लिम दो राष्ट्र हैं। उन्होंने हिंदू राष्ट्र का विचार रखा था। तो सवाल है कि इस हिंदुत्व ने आज़ादी के बाद से देश को किस तरह प्रभावित किया?
सच है कि संगठित तौर पर हिन्दुओं का गुंडाकरण किया जा रहा है।...अभी हिंदू समाज पर हिंसक या गुंडा तत्व हावी हैं और उसके भीतर से इसका प्रतिकार होता नहीं दीख रहा। ये अफसोसनाक हालात हैं। जाने-माने चिंतक और स्तंभकार अपूर्वानंद की यह टिप्पणी बहुत दूरगामी नतीजों की तरफ इशारा कर रही है। पढ़िए और दूसरों को भी पढ़वाइएः
पश्चिमी यूपी मेंहोटल, ढाबा, रेहड़ी, पटरी पर सामान बेचने वाले शख्स का नाम लिखे जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस पर बोल चुके हैं।
यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश पर पश्चिमी यूपी पुलिस ने मनमाना आदेश जारी करके दुकानदारों से अपना और अपने कर्मचारियों के नाम दुकानों, ठेलों, फड़ों पर लिखने को कहा है। लेकिन यह आदेश तमाम राजनीतिक और सिविल सोसाइटी के लोग आपत्तिजनक बता रहे हैं। इसे हिटलर युग में की गई कार्रवाई के रूप में याद किया जा रहा है। जानिए पूरा घटनाक्रमः
यह अपने आप में हास्यास्पद है कि कोई मुख्यमंत्री अपनी पार्टी की हार के लिए दूसरे समुदाय को जिम्मेदार ठहराए। लेकिन असम के मुख्यमंत्री ने भाजपा की हार के लिए ईसाइयों को जिम्मेदार ठहराने में देर नहीं लगाई। लेकिन उत्तर पूर्व भारत के लोग तो कुछ और बता रहे हैं कि भाजपा को यहां क्यों झटका लगा। आप भी जानिएः
भाजपा अयोध्या में चुनाव हार गई। उसके समर्थक अयोध्या यानी फैजाबाद लोकसभा सीट के हिन्दुओं को नमकहराम और न जाने किन-किन विशेषणों से सुशोभित रहे हैं। लेकिन अयोध्या में टूटे हजारों मकानों-दुकानों से आते चीत्कार को राम को लाने वाले सुनने को तैयार नहीं। स्तंभकार और जाने-माने चिंतक अपूर्वानंद ने अयोध्या की हार-जीत पर विचारों का फौलादी हथौड़ा चलाया है। देशभक्तों के लिए एक जरूरी लेखः
क्या काँग्रेस नरम हिंदुत्व से उग्र हिंदुत्व की काट कर पा रही है? कमलनाथ, भूपेश बघेल और अशोक गहलौत की कोशिशें क्या बताती हैं? कहीं उसकी नरम हिंदुत्व की नीति हिंदुत्व को और भी खाद-पानी नहीं दे रही है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- श्रवण गर्ग, डॉ. रविकांत, पूर्णिमा त्रिपाठी, विवेक देशपांडे-
चार राज्यों में चुनावी नतीजों के बाद राहुल गाँधी ने यह ज़रूर कहा है कि विचारधारात्मक संघर्ष जारी रहेगा लेकिन क्या कॉंग्रेस पार्टी इसका पूरा मतलब समझती है और उसमें यक़ीन करती है?
राम मंदिर का उद्घाटन किसे करना चाहिए? देश की चार प्रमुख पीठों के सभी शंकरचार्यों से बेहतर कौन व्यक्ति हो सकता है जो भारत में हिन्दू धर्म का प्रतिनिधि होता? पीएम मोदी के उद्घाटन करने के मायने क्या हैं?