दिवाली के अगले दिन जब भारत की राजधानी दिल्ली ने आँखें खोलीं तो उसे वायु प्रदूषण का ख़तरनाक स्तर देखने को मिला। प्रकाश और ज्ञान के पर्व को, शोर और धुएँ के ज़हर में बदलने को कुछ लोग धार्मिक आस्था और स्वतंत्रता से जोड़कर देखने की ज़िद कर रहे हैं। ये उनकी ही ज़िद और ज़बरदस्ती का परिणाम है कि दिल्ली में हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्धारित सीमा से लगभग 14 गुना अधिक प्रदूषित पायी गई।
हिंदुत्व की बाढ़ में पटाखे का मतलब मौत है, दिवाली नहीं!
- विमर्श
- |
- |
- 3 Nov, 2024
भारत में औसतन वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा में 5.3 वर्ष की कमी आती है। दिल्ली जैसे शहरों में तो यह कमी 11.9 वर्षों तक हो सकती है। क्या यह डरावना नहीं है?

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि दिवाली के बाद दुनिया के सबसे ख़तरनाक वायु प्रदूषकों में से एक PM2.5 का स्तर लगभग 210 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था जोकि WHO द्वारा निर्धारित सीमा, 15 माइक्रोग्राम, से बहुत अधिक था।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के अनुसार पूरी दिल्ली की हवा ‘बहुत ख़राब’ श्रेणी में पहुँच गई। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने जो आँकड़े पेश किए वो और भी चौंकाने वाले थे। समिति ने कहा कि पटाखे छूटने के दौरान रात में एक वक़्त ऐसा भी आया जब PM2.5 का स्तर WHO द्वारा निर्धारित सीमा से 100 गुना अधिक था।