2005 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) ले आई, तब इस क़ानून का उद्देश्य इसकी प्रस्तावना में साफ़ कर दिया गया था। लोकतंत्र के मूल्यों को ज़िंदा और मज़बूत रखने के लिए लाए गए इस कानून की प्रस्तावना कहती है कि- लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए एक सूचित/जागरूक नागरिक समुदाय और सूचनाओं की पारदर्शिता आवश्यक है जिससे भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सके, सरकार और उसकी एजेंसियों को जवाबदेह बनाया जा सके। इस तरह यह कानून अपनी भावना और उद्देश्यों को प्रस्तावना में ही दर्शा चुका था। अब जिम्मेदारी आने वाली सरकारों पर थी कि वो कैसे लोकतंत्र को जीवंत रखने वाले इस कानून को बचाकर रखते।