तमाम राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर एकमत हैं कि सांप्रदायिक तनाव से होने वाला ध्रुवीकरण बीजेपी को चुनावी को फ़ायदा पहुँचाता है। इससे हिंदू समाज की जाति-उपजाति की तमाम दरारें ढंक जाती हैं और केवल हिंदू होकर वोट देने का सिलसिला शुरू हो जाता है। मणिपुर से लेकर गुड़गाँव में लगी आग को बुझाने को लेकर राज्य सरकारों की उदासीनता के पीछे भी यही तर्क है कि बीजेपी तनाव के ज़रिए चुनाव जीतने की आदी है। वह कोई संविधान सम्मत धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल नहीं, अल्पसंख्यकों के प्रति नफ़रत का निरंतर अभियान चलाने वाली ‘हिदुत्व पार्टी’ है।