मानहानि मामले में राहुल गाँधी को मिली सज़ा पर रोक के फ़ैसले पर बीजेपी आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि ‘बकरे की अम्मा कब तक ख़ैर मनाएगी?’ राजनीतिक मर्यादा की कसौटी पर यह ट्वीट न सिर्फ भद्दा बल्कि हिंसक भी था। अगर यही मुहावरा विपक्ष के किसी नेता ने इस्तेमाल किया होता तो सोशल मीडिया ही नहीं, मुख्यधारा का मीडिया भी ‘मोदी की हत्या की साज़िश’ का संकेत मानते हुए पिल पड़ा होता।
राहुल के ‘निष्काम’ भाव से बौखला रही है बीजेपी!
- विचार
- |
- |
- 8 Aug, 2023

सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को राहत मिलने के बाद आख़िर क्यों बीजेपी नेता राहुल पर हमले कर रहे हैं? क्या राहुल से बीजेपी को डर लगता है?
बहरहाल, अमित मालवीय का ट्वीट बीजेपी की छिपी मंशा का प्रकटीकरण भी है। शारीरिक रूप से न सही, राजनीतिक रूप से राहुल गाँधी का ख़ात्मा बीजेपी का कोई छिपा इरादा नहीं है। यह एक स्पष्ट प्रोजेक्ट है जो बीते एक दशक से जारी है और जिस पर पानी की तरह पैसा बहाया गया है। लोकतांत्रिक दुनिया में शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसकी छवि बरबाद करने का ऐसा संगठित और निरंतर अभियान चलाया गया हो जैसा राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ चला है। भारत जोड़ो यात्रा की क़ामयाबी के बाद ही दुनिया, ख़ासतौर पर भारत के आम लोग बड़े पैमाने पर जान पाये कि राहुल उस कुप्रचारित छवि से पूरी तरह उलट हैं। उनके जैसा अध्ययनशील, दृष्टिसंपन्न और सादा इंसान समकालीन राजनीतिक परिदृश्य में एक अपवाद की तरह है। उन्होंने ‘निष्काम’ भाव से लगभग चार हज़ार किलोमीटर की पदयात्रा की जिसका कोई चुनावी लक्ष्य न होकर भारत भर में सद्भाव जगाना था।