इसका जवाब यह है कि जब किसी होटल के बोर्ड पर शुद्ध शाकाहारी भी लिखा होता है तब भी हम होटल के मालिक, रसोइये, वेटर का नाम नहीं पूछते।
किसी रेहड़ी या ढाबे पर शुद्ध शाकाहारी, झटका, हलाल या कोशर लिखा होने से खाने वाले को अपनी पसंद का भोजन चुनने में सहायता मिलती है।
लेकिन ढाबा मालिक का नाम लिखने से किसे क्या लाभ होगा?
▪️कांवड़ यात्रा के रूट पर फल सब्ज़ी विक्रेताओं व रेस्टोरेंट ढाबा मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना आवश्यक होगा।
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) July 18, 2024
▪️यह मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट की दिशा में उठाया कदम है या दलितों के आर्थिक बॉयकॉट का, या दोनों का, हमें नहीं मालूम।
▪️जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा,… pic.twitter.com/pMQYQ0X7VP
संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर फिर से बयान दिया है। ओवैसी ने कहा- "हम इसकी निंदा करते हैं क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है, जो छुआछूत के बारे में बात करता है। तो उत्तर प्रदेश सरकार छुआछूत को बढ़ावा दे रही है...दूसरी बात, जब से उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश दिया है, मुज़फ्फरनगर में सभी दुकानों से मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया है...क्या आप केवल एक समुदाय के लिए काम करेंगे? संविधान कहां है? मैं योगी आदित्यनाथ को चुनौती देता हूं कि अगर उनमें साहस है तो वे लिखित आदेश जारी करें...।''
एक बयान में, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के महासचिव बजरंग बागरा ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की और कहा, अगर उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय का कोई भी व्यक्ति मंदिरों और अन्य हिंदू धार्मिक स्थलों के पास पूजा सामग्री बेचते हुए पाता है तो तुरंत स्थानीय प्रशासन को सूचित करें।
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