फिल्मी दुनिया के नाकाम करियर से राजनीति में आए चिराग पासवान की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिहार के सबसे बड़े दलित नेता दिवंगत रामविलास पासवान के पुत्र हैं। उनकी दूसरी सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह स्वघोषित ‘मोदी के हनुमान’ हैं और इस समय केंद्र में मंत्री हैं। हाल के दिनों में उनकी पहली पहचान पर दूसरी पहचान भारी पड़ रही है और वह एक दलित नेता से एक हिंदू नेता बनते नजर आ रहे हैं।
बिहार में इन दिनों राजनीतिक स्तर इफ्तार पार्टी का दौर चल रहा है और चिराग पासवान ने भी अपनी तरफ से इफ्तार पार्टी दी। लेकिन इसमें इफ्तार की चर्चा कम हो रही है और उनके साथ मंच पर बैठे प्रमुख लोगों की चर्चा ज्यादा हो रही है जिसमें कोई मुस्लिम चेहरा नजर नहीं आ रहा। चिराग पासवान की इफ्तार पार्टी का भी मुस्लिम संगठनों ने बायकॉट किया था लेकिन फर्क यह था कि बायकॉट के बावजूद नीतीश कुमार की पार्टी में कुछ मुस्लिम धार्मिक नेता शामिल हुए थे।
एक और बात की चर्चा हुई। इफ्तार पार्टी के दौरान उनके साथ बैठे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सर पर तो टोपी है लेकिन चिराग पासवान के सर पर टोपी नहीं थी और उनके माथे पर तिलक लगा हुआ है। टोपी नहीं लगाने के लिए अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दूसरे भाजपा नेता ही जाने जाते हैं। हालांकि एक जमाने में दिवंगत भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी इफ्तार पार्टी के दौरान टोपी लगाया करते थे। खुद चिराग पासवान के पिता दिवंगत रामविलास पासवान सहजता से टोपी लगाया करते थे।
केवल माथे पर तिलक लगाना और टोपी नहीं पहनना कोई ऐसी बात नहीं है जिससे उन पर दलित नेता से हिंदू नेता बनने का आरोप सही लगता हो लेकिन उनके कुछ बयानों को जोड़कर देखा जाए तो यही नतीजा निकलता है। मार्च के पहले हफ्ते में बागेश्वर के पंडित धीरेंद्र शास्त्री बिहार आए थे और उन्होंने खुल्लम खुल्ला हिंदू राष्ट्र की वकालत की थी। जब इस बारे में चिराग पासवान से पूछा गया तो उन्होंने न केवल धीरेंद्र शास्त्री के बयान का बचाव किया बल्कि उसी भाषा का इस्तेमाल किया जिसका इस्तेमाल भारतीय जनता पार्टी की हिंदुत्व की राजनीति में किया जाता है।
चिराग पासवान से जब बाबा बागेश्वर के हिंदू राष्ट्र वाले बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बहुत मुश्किल से यह कहा कि देश संविधान से चलेगा लेकिन इससे पहले उन्होंने इस बयान पर कोई विरोध दर्ज नहीं किया बल्कि उनके बयान का बचाव किया। चिराग पासवान ने बहुत सहजता से कहा, “वह (धीरेंद्र शास्त्री) भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनते हुए देखना चाहते हैं।”
चिराग पासवान इतने पर नहीं रुके बल्कि उन्होंने राजद पर यह आरोप लगाया कि ‘तुष्टिकरण’ की राजनीति को बढ़ावा देने और किसी एक धर्म विशेष को अपने पक्ष में करने के लिए बिना मतलब आरोप प्रत्यारोप लगाने लगता है।
चिराग ने कहा, “जब किसी दूसरे धर्म के लोग अपने धर्म के बारे में तब तो यह लोग नहीं बोलते हैं, राजद जैसी पार्टियां नहीं बोलतीं। क्योंकि उस वक्त उनको तुष्टिकरण करना होता है। हकीकत यह है कि देश में एक बड़ा राजनीतिक दल और खासकर विपक्षी दलों का एक समुदाय ऐसा बना किया है जिनके लिए भारत में सेक्युलरिज्म का मतलब एक धर्म विशेष का तुष्टिकरण करना है। राजद के पास अगर इतना ही समय है तो वह एक अलग से धर्मशाला खोल ले।”
उन्होंने दूसरी पार्टियों को धार्मिक नेताओं के बयान पर टिप्पणी करने से बचने की सलाह दी मगर खुद खूब टिप्पणी की और राजद पर आरोप लगाया कि उसके द्वारा राज्य में :धार्मिक असंतुलन’ बनाने की कोशिश की जा रही है।
जब उनसे भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल के उस बयान के बारे में पूछा गया जिसमें बचौल ने कहा था कि मुस्लिम समाज को अगर होली पसंद नहीं तो वह जुमे की नमाज पढ़ने नहीं निकलें तो चिराग ने भाजपा विधायक का बचाव किया और तेजस्वी यादव के बयान पर हमलावर हो गए। उन्होंने यह दलील भी दी कि भाजपा के विधायक के बयान के पीछे सोच यह है कि हर कोई मिलजुल कर होली मनाए। चिराग ने बचौल की हां में हां मिलाते हुए कहा कि अगर किसी को तकलीफ है तो वह अपना आगे पीछे सोचे।
चिराग ने एक बार फिर राजद पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा, “उस बयान का गलत तरीके से मतलब निकाल कर राजद के लोगों ने धार्मिक असंतुलन पैदा करने की कोशिश की।”
चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के इस समय पांच सांसद हैं और इनमें कोई मुस्लिम नहीं है। उनके पांच सांसदों में एक सांसद ऐसी हैं जिनका संबंध हिंदुत्व वाले परिवार से है। यह है बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी और दिवंगत कुणाल किशोर की बहू शांभवी चौधरी जो समस्तीपुर से लोकसभा की सदस्य चुनी गई हैं। कुणाल किशोर की पहचान हिंदुत्व के धार्मिक नेता के तौर पर है। दिवंगत रामविलास पासवान के समय लोक जनशक्ति पार्टी के पास एक मुस्लिम सांसद महबूब अली कैसर के रूप में था लेकिन 2024 के चुनाव में चिराग पासवान ने किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को पार्टी का टिकट नहीं दिया जो भारतीय जनता पार्टी की नीति के अनुरूप ही है।
हाल के दिनों के चिराग पासवान के भाषणों और बयानों को देखा जाए तो उनकी चिंता में दलित विमर्श कम ही नजर आता है। होली के दौरान औरंगाबाद में दलित समुदाय की किशोरी की कार से कुचलकर हत्या का आरोप लगा था। यह आरोप चिराग पासवान की पार्टी के नेता के बेटे पर लगा था। इसके अलावा हाल ही में दलित समुदाय के दो और लोगों की हत्या हुई। इन मामलों पर चिराग पासवान और उनकी पार्टी की कथित चुप्पी की काफी आलोचना हो रही है।
दलित समुदाय के साथ साथ मुस्लिम समुदाय के प्रति भी चिराग पासवान की नीतियों की आलोचना हो रही है। खुद को ‘मोदी का हनुमान’ बताने वाले चिराग पासवान ने यह दावा तो कर दिया कि उनके पिता ने बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री का प्रस्ताव दिया था लेकिन उनका अपना रवैया मुसलमानों के प्रति कैसा है, इस पर भी चर्चा हो रही है। चिराग पासवान की पार्टी वक्फ संशोधन बिल का समर्थन कर रही है और मुस्लिम संगठनों का कहना है कि ऐसा कर चिराग पासवान दरअसल भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व की राजनीति को ही मजबूत कर रहे हैं।
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