हेमंत शर्मा की पुस्तक ‘राम फिर लौटे’ में ‘हमारी राष्ट्रीयता’ में ‘हम’ कौन हैं? क्या मुसलमान, ईसाई, पारसी और यहूदी और नास्तिक को भी राष्ट्रीयता के इस ‘मंदिर’ में उन्हें कोई जगह मिलेगी? पढ़िए राजेश जोशी की समीक्षा।
तुलसी अपने समय के देश को देखते, समझते हैं। उसमें उसकी विषमताएं, अच्छाइयां, बुराइयां, सुख-दुख सब शामिल है, रामराज्य उस युग की आशा, आकांक्षा का प्रतीक स्वप्न है।
देश के जाने-माने हिन्दी पत्रकार हेमंत शर्मा होली के मूड में हैं। लेकिन होलियाना मूड में उन्होंने जो लिखा है वो सांस्कृतिक रूप से दरिद्र हो रहे समाज को चेताननी है। होली सिर्फ रंगों का त्यौहार नहीं है। इसे आपको समझना होगा। पढ़िए उनका यह शानदार आलेखः
प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक और जनसत्ता के संपादक रहे प्रभाष जोशी जी का शुक्रवार 15 जुलाई को जन्मदिन है। उनके साथ काम कर चुके, उनके नजदीक रह चुके लोग उन्हें अलग-अलग तरह से याद करते हैं। वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा भी प्रभाष जोशी जी के निकटवर्ती लोगों में थे। पढ़िए वो क्या कहते हैं प्रभाष जी के बारे में।
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी, रंगभरी एकादशी होती है। बनारस के लिए इसका ख़ास महत्व क्यों है? होली क्यों सब त्योंहारों से अलग है। पढ़िए 2022 में लिखी हेमंत शर्मा की टिप्पणी।
यह क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? चारो तरफ़ मौत का मंजर क्यों है? लग रहा है प्रलय की आहट तेज़ हो रही है।असमय जाते प्रियजन। अशुभ सिलसिला टूट ही नहीं रहा है। चौतरफा अवसाद। हताशा। इसके पीछे कौन है?
कोरोना संकट के बीच जनता आज त्राहिमाम कर रही है। कोई सुनने वाला नहीं है। राम, तुम जिस करोड़ों लोगों की आस्था से भगवान हो, वे लोग मानवता के सबसे बड़े संकट से जूझ रहे हैं। भेड़-बकरियों की तरह सड़कों पर मर रहे हैं। क्या तुम्हें उनकी कोई सुध नहीं है?
हमेशा हंसती रहने और कभी किसी बात का बुरा न मानें वाली ताविषी के साथ न जाने कितनी यात्राएँ कीं। कितने पत्रकारीय अभियान छेड़े। आज भी जब लखनऊ जाता सबसे पहले मिलने आतीं। उनका कोई शत्रु नहीं था।... पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा को।
वरिष्ठ पत्रकार और चर्चित लेखक हेमंत शर्मा की एक और किताब छप कर बाज़ार में आ गई है। हमेशा की तरह उनकी किताब के शीर्षक ‘एकदा भारतवर्षे’ से उसके कथ्य के पांडित्यपूर्ण होने की झलक मिलती है। इस पुस्तक की सामग्री उनकी पिछली किताबों से एकदम भिन्न शैली की है।