बाबा तुलसीदास एक बार फिर संकट में हैं। उनपर जातिवादी, दलित और स्त्री विरोधी बताते हुए चौतरफा हमला हो रहा है। उनके ‘रामचरितमानस’ को नफ़रत फैलाने वाला ग्रन्थ बताकर पाबंदी की मांग की जा रही है। इस दफा तुलसी पर हमला ‘कुपढ़ों’ ने बोला है। अनपढ़ से कुपढ़ लोग समाज के लिए ज्यादा खतरनाक होते हैं। तुलसी अभिशप्त हैं ऐसे संकट बार-बार झेलने के लिए।
तुलसी तो जाति बंधनों को तोड़ते हैं!
- विचार
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- 5 Feb, 2023

तुलसीदास के रामचरितमानस पर विवाद क्यों है? क्या तुलसीदास जातिवादी थे और स्त्री विरोधी थे? जानिए आख़िर क्यों इस पर हंगामा मचा है।
ऐसा संकट तुलसी पर पहली बार नहीं आया है। तुलसीदास जन्मे बांदा में और मरे बनारस में। पहला संकट उनके जन्म लेते ही आया था। जब एक बुरे नक्षत्र में जन्म लेने मात्र से अपशकुन मान उनके माता-पिता ने उन्हें त्याग दिया। सेविका चुनिया ने ही उन्हें पाला पोसा। अपने घर ले गयी। लेकिन पांच साल की उम्र में धर्ममाता चुनिया भी चल बसी। अब रामबोला दूबे पूरी तरह अनाथ थे। उनका नाम रामबोला इसलिए पड़ा कि जन्मते उनके मुंह से ‘राम’ निकला, इसलिए भी माता-पिता डर गए। अब तुलसी बनने की प्रक्रिया में वे दर-दर ठोकर खाने लगे।