सवाल बार बार मथ रहा है कि यह क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? चारो तरफ़ मौत का मंजर क्यों है? लग रहा है प्रलय की आहट तेज़ हो रही है।असमय जाते प्रियजन। अशुभ सिलसिला टूट ही नहीं रहा है। चौतरफा अवसाद। हताशा। इसके पीछे कौन है? इसका जवाब हमें इस श्लोक में मिला। गीता के अध्याय 11, श्लोक -32 में कृष्ण कह रहे है अर्जुन से कि सम्पूर्ण संसार को नष्ट करने वाला महाकाल मैं ही हूँ।
हे कृष्ण, मौत का यह मंजर नहीं रुका तो इतिहास आपके भगवानत्व पर सवाल करेगा!
- विचार
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- 14 May, 2021
इस महामारी का भी कोई रास्ता निकालिए न शकटासुरभंजन। आप संसार को नष्ट करने वाले काल है तो इस काल की गति कहॉं रूकेगी? यह अन्याय है। बेईमानी है। वे लोग काल के चपेटे में आ रहे है, जिनकी यहॉं ज़रूरत है। आपने ही कहा था यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ...कि जब जब धर्म की हानि होगी आप अवतार लेंगे।
कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धोलोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।
ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे येऽवस्थिताःप्रत्यनीकेषु योधाः ॥ (32)
कृष्ण ने कहा - 'मैं इस सम्पूर्ण संसार का नष्ट करने वाला महाकाल हूँ, इस समय इन समस्त प्राणियों का नाश करने के लिए लगा हुआ हूँ, यहाँ मौजूद लोगों को तुम अगर नहीं मारोगे तो भी वे मरेंगे क्योंकि काल उन्हें मारना चाहता है।'