मातृरूपेण संस्थिताकोई तीस बरस पहले मेरी बीमार मॉं ने मुझसे कहा- ‘मैं पूरे नवरात्रों का उपवास रखती हूँ। अब अस्पताल से यह संभव नहीं होगा। तो फिर तुम इस उपवास को सँभालो’। माता चली गयीं और तब से बिना रुके मैं और वीणा वासंतिक और शारदीय नवरात्र के नौ रोज़ उपवास करने लगे हैं। मातृरूपेण संस्थिता को मानते हुए।