अब मैं उल्लू बनना चाहता हूँ। ताकि लक्ष्मी मेरी सवारी कर सकें। उल्लू पर सवार होकर ही लक्ष्मी आती है। लक्ष्मी और उल्लूपन में चोली दामन का रिश्ता है। धनतेरस, दीपावली में इतना पूजा पाठ करके लक्ष्मी का आवाहन करने से अच्छा है सीधा चैनल खोला जाय। तो मैंने आज से अपने भीतर के उल्लूपन को सहेजना शुरू किया है। यह पुण्य काज करवा चौथ के दिन से ही शुरू हुआ। जब पत्नी के लिए साड़ी ख़रीदने गया और उनके लिए उल्लू के तस्वीर वाली साड़ी ख़रीद लाया। ताकि उनकी नज़रों में पहले उल्लू प्रतिष्ठित हो जाए। धनतेरस बीत गया। अब दीपावली है। फ़ैसला जल्दी करना होगा। फिर इसमें बुराई क्या है। हमारे यहाँ वैशेषिक दर्शन के एक आचार्य हुए हैं उलूक। उनके दर्शन को औलुक्य दर्शन कहते हैं।
दिवाली: अपने अंदर के उल्लूपन को ऐसे सहेजिए
- विचार
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- 12 Nov, 2023

उल्लू को बेशक आप उल्लू समझते रहें। लेकिन प्रख्यात पत्रकार हेमंत शर्मा उल्लू को उल्लू नहीं समझते। वो उल्लू को क्या समझते हैं, पढ़िए पूरा लेखः