एक ही पूजा घर में भिन्न भिन्न देवी देवताओं की छवियों से हिंदू मन में कभी भी दुविधा या भ्रम नहीं होता। अगर देवी देवता मात्र अलग अलग रूपाकार नहीं, अलग-अलग विचारों या भावों का प्रतिनिधित्व करते हैं तो क्या उनके अर्थ पर कभी सामाजिक विचार किया गया है?
हे दिवाली मइया! हम तुम्हारा जस मानेंगे कि तुम अपने प्रताप से हमारे तथाकथित आधुनिक होते जाते समाज को त्यौहारों की सीधी पटरी पर ले आओ। नहीं तो लोग यह देश छोड़कर विदेशी दिवाली मनाने के तमाम बहाने ले आयेंगे। 2019 में लिखी मैत्रेयी पुष्पा का लेख...