दीपावली को राम के अयोध्या पुनरागमन की ख़ुशी का त्योहार माना जाता है। लेकिन इस दिन गणेश और लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में इसे नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। नरकासुर की पराजय का दिन। कुछ वर्षों से हिंदू आबादी का ही एक हिस्सा इसे नरकासुर के स्मृति दिवस के तौर पर मनाता है। वह आज की दीपावली की प्रचलित समझ से ठीक उलट वृत्तांत प्रस्तुत करती है। अब तक इस अंतर्विरोध पर हिंदू समाज ने बात नहीं की है।
दिवाली: उत्सव मनाने वाले समाज में नफ़रत का क्या काम?
- विचार
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- 24 Oct, 2022

एक ही पूजा घर में भिन्न भिन्न देवी देवताओं की छवियों से हिंदू मन में कभी भी दुविधा या भ्रम नहीं होता। अगर देवी देवता मात्र अलग अलग रूपाकार नहीं, अलग-अलग विचारों या भावों का प्रतिनिधित्व करते हैं तो क्या उनके अर्थ पर कभी सामाजिक विचार किया गया है?