आख़िर गाँधी की पगड़ी और कर्नाटक की छात्राओं के हिजाब के बीच क्या रिश्ता है? हम सब वह क़िस्सा जानते हैं कि डरबन जाने के बाद गाँधी जब अदालत गए तो यूरोपीय मैजिस्ट्रेट ने उन्हें पगड़ी उतारने को कहा। गाँधी ने कहा कि पगड़ी भारतीयों के लिए ज़रूरी है फिर भी मैजिस्ट्रेट नहीं माना। गाँधी अदालत से निकल आए। उनका इरादा था कि अगले रोज़ से वे हैट पहनकर जाएँगे। लेकिन अब्दुल्ला सेठ ने गाँधी से कहा कि उन्हें पीछे नहीं हटना चाहिए।
गाँधी की पगड़ी और छात्राओं के हिजाब के बीच क्या कोई रिश्ता है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 17 Oct, 2022

गाँधी का संघर्ष सार्वजनिक स्थल से एक पहचान को बहिष्कृत किए जाने के ख़िलाफ़ था। सड़क पर अफ्रीकी, भारतीय लोगों के गोरे अंग्रेजों के साथ चलने का प्रश्न हो, पहले दर्जे में उनके यूरोपीय लोगों के साथ सफर करने का प्रश्न हो या अदालत में हैट के साथ पगड़ी को स्वीकार करने का सवाल : बात एक ही है।
गाँधी ने देखा था कि भारतीय मुसलमान और पारसी अपनी पगड़ियाँ या टोपियाँ पहने हुए थे। इसलिए उन्हें ताज्जुब हुआ था कि उन्हें पगड़ी उतारने को कहा जा रहा था।
अब्दुल्ला सेठ ने उन्हें इसका कारण बतलाया। मुसलमान ख़ुद को अरब कहते थे और पारसी फ़ारस का बताते थे। बाक़ी तो हिंदू ही ठहरे।