खेती-किसानी, व्यापार, उद्योग अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों से आ रही तमाम निराशाजनक खबरों और आम आदमी के जीवन में छायी तरह-तरह की दुश्वारियों के बीच सरकार की ओर से आंकड़ों के जरिए अर्थव्यवस्था की चमकदार तस्वीर पेश की जा रही है। महंगाई अब पूरी तरह लूट में तब्दील हो चुकी है और नग्न बाजारवाद का बेशर्म प्रदर्शन हो रहा है। विश्व बाजार में भारतीय रुपए की हैसियत गिरने के रोजाना नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार खाली होता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय हंगर इंडेक्स, हैपीनेस इंडेक्स, पेंशन इंडेक्स आदि में भी भारत शर्मनाक रूप से नीचे जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूरे सूरत ए हाल से बेपरवाह होकर धार्मिक-सांस्कृतिक पुनर्जागरण का मंत्रोच्चार करते हुए धार्मिक पर्यटन में व्यस्त हैं।
अर्थव्यवस्था के शोकगीत के बीच ये कैसी दीपावली
- विचार
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- 24 Oct, 2022
जरा सोचिए कि इस बार किन हालात में हम लोग दीपावली मना रहे हैं।
