शर्मिंदा हूँ ताविषी जी! हम आपको बचा नहीं पाए। आपको समय पर इलाज नहीं दिला पाए। 40 बरस तक जिस लखनऊ में मुख्यधारा की पत्रकारिता आपने की, उससे इस व्यवहार की आप हक़दार नहीं थी। ताविषी जी! आपको हमसे कोरोना ने नहीं, सिस्टम ने छीना है। यह टूट चुका सिस्टम आपको समय से अस्पताल का एक बेड नहीं दिलवा पाया। और आप चली गईं।
शर्मिंदा हूँ ताविषी जी! हम आपको बचा नहीं पाए
- श्रद्धांजलि
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- 19 Apr, 2021
हमेशा हंसती रहने और कभी किसी बात का बुरा न मानें वाली ताविषी के साथ न जाने कितनी यात्राएँ कीं। कितने पत्रकारीय अभियान छेड़े। आज भी जब लखनऊ जाता सबसे पहले मिलने आतीं। उनका कोई शत्रु नहीं था।... पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा को।

ताविषी जी मेरी मित्र और लखनऊ की वरिष्ठतम पत्रकारो में एक थीं। 40 बरस से पायनियर में कार्यरत थीं। हेमवती नंदन बहुगुणा से लेकर मुलायम सिंह यादव तक उन्हें नाम से जानते थे। अपनी बनाई लीक पर सीधे चलती थीं। न उधो का लेना न माधो को देना। पत्रकारीय गुट और पंचायतों से अलग, सीधी सरल और विनम्र। पत्रकारिता उनके लिए जीवनयापन नहीं, पैशन था। उन ताविषी के साथ व्यवस्था का यह व्यवहार बताता है कि लखनऊ में आम आदमी के हालात क्या होंगे।