फाँसी दिए जाने के पहले क्या बीतती है उन लोगों पर जिन्हें म़त्युदंड दिया जाता है? वे कैसा व्यवहार करते हैं? अफ़ज़ल गुरु और रंगा-बिल्ला ने क्या किया था, कैसा बर्ताव किया था?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने विवादास्पद बयानों के लिए हमेशा ही चर्चा में रहते हैं। उनके ये बयान महिलाओं, दूसरे देशों से आकर अमेरिका में बसे लोगों, अश्वेतों और राजनीतिक विरोधियों के लिए होते हैं।
इसके पहले भी अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भारत का दौरा किया है। कभी जॉर्ज बुश जूनियर और आइजनहॉवर की यात्रा जैसे कामयाब दौरे हुए हैं तो रिचर्ड निक्सन की तरह खराब यात्रा भी।
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के पहले मुख्यमंत्री गोपीनाथ बरदोलोई को लिखी नेहरू की चिट्ठी को परिप्रेक्ष्य से काट कर और ग़लत ढंग से पेश किया है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम की हिस्सेदारी का बड़ा भाग बेचने का एलान कर सबको चौंका दिया है। उनकी इस घोषणा से कई सवाल खड़े हो गए हैं।
कश्मीर घाटी से हिन्दुओं के पलायन को राजनीतिक मुद्दा बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इन लोगों की घर वापसी के लिए क्या किया और कितने लोगों को वापस कर सकी है, यह सवाल उठना स्वाभाविक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम रखा है, उन्होंने बंगाल के बँटवारे और भारत छोड़ो आन्दोलन को कुचलने की माँग की थी।
जेएनयू के वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार क्या किसी मंत्री के दबाव में काम करते हैं, क्योंकि उन्होंने फीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ आन्दोलन ख़त्म करने के फ़ॉर्मूले को खारिज कर दिया।
सोमवार को दर्ज एफ़आईआर से साफ़ है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने ख़ुद पुलिस बुलाई थी, उन्हें अंदर आने की औपचारिक अनुमति दी थी, पर पुलिस परिसर में नहीं गई और गुंडे तांडव मचाते रहे।
पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि होने के आसार हैं, जिससे पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है। आख़िर क्यों ऐसा होगा और सरकार क्या करेगी? सरकार ने इस स्थिति से बचने के लिए क्या तैयारी की है? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
ईरानी कमान्डर कासिम सुलेमानी की अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत से पहले से बदहाल भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक और चोट पड़ेगी, यह तय है। यह संकट बजट के ठीक पहले आ रहा है।