तालिबान ने जिस तरह बिना किसी बड़े प्रतिरोध का सामना किए ही आनन-फानन में अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया और अशरफ़ ग़नी की सरकार ने पलक झपकते ही हथियार डाल दिए, उससे कई सवाल खड़े होते हैं। किसी साजिश या गुप्त समझौते की बू तो आती ही है, तालिबान के कामकाज के तरीके पर भी सवाल उठता है।
क्या यह 'नया तालिबान' है जो सत्ता पर पकड़ बनाने के बाद सुधर जाएगा?
- दुनिया
- |
- |
- 16 Aug, 2021

क्या यह वह तालिबान नहीं है जो बड़े पैमाने पर ख़ून खराबे के लिए बदनाम था? क्या मुल्ला ग़नी बरादर का तालिबान मुल्ला उमर के तालिबान से अलग है? क्या यह नया तालिबान है? सवाल यह उठता है कि क्या एक बार सत्ता पर पकड़ बना लेने के बाद तालिबान बदल जाएगा, उसका ध्यान सुशासन और बेहतर प्रशासन पर जाएगा?
क्या यह वह तालिबान नहीं है जो बड़े पैमाने पर ख़ून खराबे के लिए बदनाम था? क्या मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर का तालिबान मुल्ला उमर के तालिबान से अलग है? क्या यह नया तालिबान है?
सवाल यह उठता है कि क्या एक बार सत्ता पर पकड़ बना लेने के बाद तालिबान बदल जाएगा, उसका ध्यान सुशासन और बेहतर प्रशासन पर जाएगा?