तालिबान ने जिस तरह बिना किसी बड़े प्रतिरोध का सामना किए ही आनन-फानन में अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया और अशरफ़ ग़नी की सरकार ने पलक झपकते ही हथियार डाल दिए, उससे कई सवाल खड़े होते हैं। किसी साजिश या गुप्त समझौते की बू तो आती ही है, तालिबान के कामकाज के तरीके पर भी सवाल उठता है।