अफ़ग़ानिस्तान के वॉर लॉर्ड्स यानी स्थानीय हथियारबंद गुटों के प्रमुखों से राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी की मुलाक़ात और सरकार बचाने की अपील से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या अब क़बीलाई लड़ाके ही तालिबान से बचा सकते हैं अफ़ग़ान सरकार को?
- दुनिया
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- 13 Aug, 2021

वे नहीं चाहते कि तालिबान उनके इलाक़े में आकर उन पर हुक़्म चलाएं। अतीत में भी ताज़िक और उज़बेक जनजातियों के लोगों की पश्तूनों से नहीं बनी है क्योंकि पश्तून दबंग भी रहे हैं और उनके हाथ में सत्ता भी रही है। उज़बेक, ताज़िक और हज़ारा भी आपस में लड़ते रहे हैं, पर वे सब मिल कर पश्तूनों के ख़िलाफ़ भी लड़ चुके हैं।
यह मुलाक़ात ऐसे समय हुई है जब अमेरिकी खुफ़िया अधिकारियों ने कहा है कि तालिबान को नहीं रोका गया तो वे 90 दिनों के अंदर अफ़ग़ान सरकार को उखाड़ फेकेंगे।
अशरफ़ ग़नी की चिंता इससे समझी जा सकती है कि तालिबान लड़ाकों ने एक हफ़्ते के अंदर देश के नौ प्रांतों पर क़ब्ज़ा कर लिया है।
उनके नियंत्रण में वह ग़ज़नी प्रांत भी आ चुका है जो काबुल जाने वाले राजमार्ग पर है और जहाँ से काबुल सिर्फ 150 किलोमीटर दूर है।