Tag: Premchand
ईदगाह से निकलते मुसलमान के दिल की धड़कन से अपनी धड़कन न मिलाना चाहेंगे!
- • अपूर्वानंद • वक़्त-बेवक़्त • 31 Mar, 2025
क्या प्रेमचन्द के साये में दब गईं शिवरानी देवी?
- • विमल कुमार • साहित्य • 21 Jan, 2025
नवाब राय बनारसी कैसे बन गए मुंशी प्रेमचंद?
- • राजीव कुमार श्रीवास्तव • साहित्य • 31 Jul, 2024
प्रेमचंद की 'कफ़न' सुख-दुख की कहानी है या विडंबना की?
- • प्रियदर्शन • साहित्य • 14 Oct, 2022
प्रेमचंद की छवि धूमिल करने की कोशिश?
- • वीरेंद्र यादव • विचार • 1 Aug, 2022
प्रेमचंद को हिंदुओं में सहिष्णु नेताओं की कमी क्यों दिखलाई पड़ी थी?
- • अपूर्वानंद • वक़्त-बेवक़्त • 1 Aug, 2022
प्रेमचंद जयंती: कभी लिखा था- 'इसलाम तलवार के बल पर नहीं फैला बल्कि...'
- • वीरेंद्र यादव • विचार • 4 May, 2022
कौन सा आधुनिकता बोध आज प्रासंगिक- प्रेमचंद या निर्मल वर्मा का?
- • वीरेंद्र यादव • साहित्य • 31 Aug, 2021
इस आभासी दुनिया में क्यों पढ़े प्रेमचंद?
- • सत्य ब्यूरो • वीडियो • 31 Jul, 2021
प्रेमचंद 140 : 31वीं कड़ी : समाजोन्मुख-आत्मोन्मुख-भाषोन्मुख
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 20 Sep, 2020
प्रेमचंद 140 : 30वीं कड़ी : जीवन की आलोचना का मक़सद
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 14 Sep, 2020
प्रेमचंद 140 : 29वीं कड़ी : प्रेमचंद के कथा साहित्य में उनके ध्यान के केंद्र में स्त्री
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 12 Sep, 2020
प्रेमचंद 140 : 28वीं कड़ी : प्रेमचंद के जाने कितने पात्र महाजन के शिकार हुए
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 10 Sep, 2020
प्रेमचंद 140 : 27वीं कड़ी : किसान जीवन के वर्णन की प्रेमचंद की काव्यात्मक भाषा
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 7 Sep, 2020
प्रेमचंद 140 : 26वीं कड़ी : प्रेमचंद के लिए हिंदू धर्म और इसलाम अपने आप में पात्र थे
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 5 Sep, 2020
प्रेमचंद 140 : 25वीं कड़ी : अनौपचारिक शिक्षा व्यवस्था पर क्या सोचते थे प्रेमचंद?
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 4 Sep, 2020
प्रेमंचद साहित्य में सवर्णों द्वारा आर्थिक शोषण
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 1 Sep, 2020
प्रेमचंद 140- 23वीं कड़ी: कुआँ और कुआँ : सार्वजनिकता का धँसना और उसकी खुदाई
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 30 Aug, 2020
प्रेमचंद 140: 22वीं कड़ी: मुसलिमों, दलितों से बर्ताव पर प्रेमचंद, गाँधी में समानता
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 28 Aug, 2020
प्रेमचंद 140 : 21 वीं कड़ी : भारतीय जीवन पद्धति को पूरी तरह बदल देना चाहते थे प्रेमचंद
- • अपूर्वानंद • साहित्य • 27 Aug, 2020
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