जीवन, भारतीय और विशेषकर हिंदू जीवन कतिपय संस्कारों के क्रम और उनकी योजना से बँधा है। उनका विधान करने का अधिकार ब्राह्मणों को ही है। ब्राह्मण की अनुशंसा के बिना मानो आपका जीवन वैध ही नहीं है। कह सकते हैं कि यह बात पुरानी हो गई।
प्रेमंचद साहित्य में सवर्णों द्वारा आर्थिक शोषण
- साहित्य
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- 31 Jul, 2022

आज मुंशी प्रेमचंद की जयंती है। आज से दो साल पहले 2020 में उनकी 140वीं जयंती पर प्रोफेसर अपूर्वानंद ने सत्य हिन्दी के लिए विशेष टिप्पणी लिखी थी। पढ़िए अपूर्वानंद की कलम से...