31 जुलाई 1880 को बनारस के पास लमही नामक गाँव में जन्मे मुंशी प्रेमचंद की आज 144 वीं जयंती है। उनका नाम धनपत राय था। जानिए, उनका नाम नवाब राय बनारसी और फिर मुंशी प्रेमचंद कैसे पड़ा।
क्या हिंदी साहित्य में विडंबनाओं को समाहित किया गया है? हिंदी लेखकों में विडंबना का कितना बोध है? हिंदी साहित्य में इन विडंबनाओं का कैसा इस्तेमाल हुआ है?
महान साहित्यकारों में से एक मुंशी प्रेमचंद को स्त्री विरोधी साबित करने की कोशिश करने वाले लोग कौन हैं? आख़िर उनके नाम से एक अपुष्ट ख़त को क्यों जारी किया गया है?
राष्ट्रीय आंदोलन में हिंदुओं और मुसलमानों की भागीदारी कैसी हो, किस तरीक़े से मुसलमानों को राष्ट्रीय आंदोलन में साथ लेकर चला जाए? जानिए आज से 90 साल पहले प्रेमचंद ने ‘नवयुग’ शीर्षक से लेख में क्या लिखा था।
क्या भारत में या कहीं भी इसलाम ताक़त के बल पर फैल सकता है? क्या दुनिया का कोई भी धर्म ताक़त से आगे बढ़ सकता है? प्रेमचंद ने इस पर किताब लिखी है। लेखक व आलोचक वीरेंद्र यादव ने उनके लिखे का अंश फ़ेसबुक पर साझा किया है।
साहित्यकार वीरेंद्र यादव के इस पोस्ट पर विवाद हो गया है कि कौन सा आधुनिकता बोध आज प्रासंगिक है प्रेमचंद का या निर्मल वर्मा का? आख़िर निर्मल वर्मा पर उस पोस्ट से कुछ लोगों की भावनाएँ आहत क्यों हो गईं।
पिछले दिनों प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर की याद बार-बार दिलाई गई है। भारत की अदालतों में जो कुछ भी हो रहा है, उसके संदर्भ में। ख़ासकर प्रशांत भूषण पर अदालत की हतक के मुकदमे के सिलसिले में। प्रेमचंद जयंती पर सत्य हिन्दी की विशेष पेशकश अपूर्वानंद की कलम से।