'आजकल गाँवों में अस्पृश्यता लगभग लुप्त हो गई है। सब कुछ सचमुच बदल गया है! अब तो वे गाँव की अनाज पीसनेवाली मशीन पर हमें अपने अनाज भी पीसने देते हैं!' नलिता ने कहा।