‘दूध का दाम’ कहानी का विरोध संसद में किया गया था यह कहकर कि यह दलितों का अपमान करती है। जातिसूचक संज्ञा का इस्तेमाल प्रमाण बताया जाता है इस कहानी के दलितविरोधी होने का। एक ढोंग हमारे समाज में पलता रहता है। जिसे हम असंवैधानिक मानते हैं, वह हमारे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कतई कबूल रहता ही है।