क्या आप उस “योद्धा” स्त्री को जानते हैं जो बाल विधवा थीं पर उनका दोबारा विवाह हुआ? उनकी औपचारिक शिक्षा नहीं थी लेकिन शादी के बाद उन्होंने घर में रहकर पढ़ाई लिखाई की और वह स्वाधीनता आंदोलन की तरफ़ आकृष्ट हुईं, स्त्रियों की सभाएँ संबोधित करने लगीं। फिर दो माह के लिए जेल भी गयीं और हिंदी की एक प्रखर कहानीकार बनीं लेकिन उन्हें भुला दिया गया, उनका मूल्यांकन नहीं हुआ और उनकी स्मृति को सुरक्षित रखने का कोई प्रयास नहीं हुआ न कोई आयोजन हुआ। वे अपने पति के साये में ओझल हो गईं।
क्या प्रेमचन्द के साये में दब गईं शिवरानी देवी?
- साहित्य
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- 21 Jan, 2025

हिंदी समाज “प्रेमचन्द घर में“ पुस्तक की लेखिका शिवरानी के बारे में थोड़ा बहुत जानता रहा लेकिन कहानीकार शिवरानी देवी के बारे में वह अल्पज्ञात रहा। आखिर क्यों? जानें एक “योद्धा” स्त्री की कहानी।
आज पहली बार उनकी याद में एक समारोह किया जा रहा है, स्त्री दर्पण की पहल पर।
यह स्त्री और कोई नहीं बल्कि शिवरानी देवी थीं। हिंदी के उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द की पत्नी। प्रेमचन्द ने ही उन्हें योद्धा स्त्री की संज्ञा दी थीं। हिंदी समाज “प्रेमचन्द घर में“ पुस्तक की लेखिका शिवरानी के बारे में थोड़ा बहुत जानता रहा लेकिन कहानीकार शिवरानी देवी के बारे में वह अल्पज्ञात रहा। आखिर क्यों? क्या इसलिए कि उनकी कहानी की किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं थीं, पुस्तकालयों में नहीं थीं, पाठ्यक्रम में नहीं थीं और हिंदी के आलोचकों ने उनको बहस के केंद्र में नहीं रखा, उनकी चर्चा नहीं की या उनकी नजर में वे चर्चा के योग्य नहीं थीं।