सूचनाएं विवेक देती हैं या विवेक हर लेती हैं? यह एक बड़ा सवाल आज मानव सभ्यता के माथे पर घूम रहा है। सूचनाओं के पक्षधर कहते हैं कि सूचनाएं हमें सशक्त करती हैं और हम ज्यादा अच्छी तरह से कोई निर्णय ले सकते हैं और बीमारी से लेकर आर्थिक- राजनीतिक किसी समस्या का समाधान कर सकते हैं। इसलिए सूचनाओं से फैलाए गए भ्रम का इलाज और सूचनाएं ही हैं। यानी सूचनाओं के खुलेपन से हम न सिर्फ सूचनाओं से पैदा होने वाली समस्याओं का हल निकाल सकते हैं बल्कि उन तमाम समस्याओं का हल कर सकते हैं जिन्हें सूचनाओं ने नहीं पैदा किया है। जबकि सूचनाओं के ख़तरों की ओर इशारा करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि सूचनाओं की बाढ़ में यह तय कर पाना कठिन है कि ग़लत सूचनाएं कौन सी हैं और सही सूचनाएं कौन हैं। सूचनाएं आमतौर पर सत्य तक नहीं ले जातीं और जब तक ले जाती हैं तब तक बहुत देर हो जाती हैं। सूचनाओं से मानव विवेक भी नहीं उत्पन्न होता। उसके लिए सूचनाओं से मदद मिल सकती है लेकिन विवेक ऐसी अवस्था है जिसे पाने के लिए अन्य कारकों की भी आवश्यकता होती है। ऐसे दौर में जब सूचनाएं देने से ज्यादा दबाई जा रही हों और एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने सूचनाओं पर कब्जा कर लिया हो तब मानव सभ्यता को अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए।
नेक्सस: हरारी ने चेताया- सूचनाओं का जंजाल विनाश की दस्तक
- साहित्य
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- 13 Oct, 2024

सेपियन्स जैसी बेस्टसेलर पुस्तक लिखने वाले इसराइली इतिहासकार युआल नोआ हरारी ने सितंबर 2024 में आई अपनी ताजा पुस्तक—नेक्ससः ए ब्रीफ हिस्ट्री आफ इनफारमेशन नेटवर्क्स फ्राम स्टोन एज टू एआई— में बड़े ख़तरे की आशंका जताई है।
यह बात सेपियन्स जैसी बेस्टसेलर पुस्तक लिखने वाले इसराइली इतिहासकार युआल नोआ हरारी ने सितंबर 2024 में आई अपनी ताजा पुस्तक—नेक्ससः ए ब्रीफ हिस्ट्री आफ इनफारमेशन नेटवर्क्स फ्राम स्टोन एज टू एआई— में बेहद जोरदार ढंग से उठाई है। सेपियन्स का अर्थ होता है बुद्धिमान। अपनी पहली चर्चित पुस्तक के इस अर्थ के माध्यम से वे नई पुस्तक में सवाल उठाते हैं कि अगर मनुष्य इतना बुद्धिमान है और उसने अपनी प्रगति के माध्यम से इसे प्रमाणित भी किया है तो आज वह अपने विनाश का सामान क्यों इकट्ठा कर रहा है। एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के खतरे के बारे में चर्चा करने वाले हरारी पहले बौद्धिक नहीं हैं। इससे पहले स्टीव वोझनियक, एलन मस्क समेत दुनिया के सौ प्रौद्योगिकी जगत के लीडर एआई के खतरे के बारे में पत्र लिखकर दुनिया को सचेत कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि एआई लैब को अपना शोध धीमा करना चाहिए क्योंकि इससे मानवता को पर्याप्त और गंभीर खतरा है। इतना ही नहीं, ज्योफ्री हिन्टन जिन्हें एआई का गॉडफादर कहा जाता है वे गूगल के अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उन्होंने भी खतरे के प्रति आगाह किया था।
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।