'मैंने जाने अनजाने, अपने किसी कर्म, वचन या विचार से, आपको अगर कभी दुःख पहुँचाया हो तो मैं आपसे क्षमा याचना करता हूँ।' सुबह-सुबह यह एक बना बनाया संदेश एक मित्र की ओर से मिला। उन्होंने अपनी भाषा, अपने शब्दों में यह बात न कही थी। समय बचाने के लिए शायद अनेक लोगों को यही बात कहने के लिए उन्होंने कहीं और बना हुआ, किसी और के द्वारा और बनाया गया यह क्षमा संदेश भेजा।
क्षमायाचना : निजी या सामूहिक
- वक़्त-बेवक़्त
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- 24 Aug, 2020

क्षमा माँगना कर्मकांड नहीं हो सकता। क्षमा याचना में जब तक निजी निवेश न हो, वह ईमानदार नहीं, एक परिपाटी है जिसे आदतन निभाना पड़ता है। क्षमा निर्वैयक्तिक भाव नहीं है।