2006 में राज्यसभा में प्रेमचंद और हिंदी साहित्य मात्र को लेकर एक तूफ़ान खड़ा हो गया। यह संभवतः पहला मौक़ा था जब साहित्य को सांसदों ने चर्चा के योग्य माना था। तब कांग्रेस के नेतृत्ववाली सरकार थी। नई स्कूली पाठ्यचर्या और पाठ्यक्रम की घोषणा हुए साल भर ही हुआ था। नए पाठ्यक्रम के अनुसार नई स्कूली किताबें भी बनाई जा रही थीं। हिंदी की पाठ्यपुस्तकें बदली गई थीं।