दलित प्रश्न के कई पक्ष थे। उसका एक पक्ष हिंदू धर्म से उसके संबंध को फिर से परिभाषित करने का था। दूसरा आर्थिक था और तीसरा, बल्कि महत्त्व की दृष्टि से उसे शायद पहला होना चाहिए था, राजनीतिक था। प्रेमचंद गांधी के मंदिर प्रवेश आंदोलन के पक्ष में हैं और डॉ. आंबेडकर से इस विषय में अपना मतभेद जाहिर करते हैं।