मंच पर एक एक कर रोशनी होती है - कई स्त्रियाँ खड़ी हैं एक साथ, एक पुरुष आता है, वह अचंभित है कि इस नाटक में वह अकेला पुरुष है, हर कहानी में वही एक किरदार बन जाता है जबकि स्त्रियाँ अलग -अलग हैं।