सोचा था... किसी को श्रद्धांजलि नहीं दूँगी। बहुत हो गया। पिछले दिनों इतने क़रीबी गुजरे कि दामन ख़ाली हो गया। आँखें पथरा गई हैं। रोते हैं मगर आँसू नहीं, सूखे पत्ते झरते हैं।