निर्भया के बलात्कारियों को फाँसी दे दी गई है। इस मुद्दे पर देश दो धड़ों में बँटा हुआ है। एक धड़ा चाहता है कि फाँसी की सज़ा रखी जानी चाहिए, जबकि उदारवादी खेमा चाहता है कि फाँसी के बजाय मृत्युपर्यंत क़ैद बामशक्कत सज़ा दी जानी चाहिए। फाँसी की सज़ा देने से तो भीतर का डर जाता रहेगा। दोषी और क्रूर हो जाएँगे। प्रगतिशील, उदारवादी खेमा बलात्कारियों के एनकाउंटर के भी ख़िलाफ़ है।