जो कहते थे - महिलाएँ कोई बड़ा आंदोलन नहीं खड़ा कर सकतीं, उन्हें क़रारा जवाब है शाहीन बाग़। जिन्हें लगता था कि औरतें कभी एकजुट नहीं हो सकतीं, उनके मुँह पर लगा ताला है शाहीन बाग़। जिन्हें औरतों की क़ाबिलियत और सरोकारों पर शक था, उनके लिए सवाल है शाहीन बाग़। और जिनके बारे में आप सोचते थे कि बुर्कानशीं, पर्दानशीं औरतें कुछ नहीं कर सकतीं, उनको अवाक कर दिया है शाहीन बाग़ की औरतों ने।