मिलान कुंदेरा नहीं रहे! मैंने तुरंत देखा कि वे कहाँ थे जब उनकी मृत्यु हुई? इसलिए नहीं कि मुझे यह पता नहीं था कि वे पिछले कई वर्षों से फ्रांस की राजधानी पेरिस में रह रहे थे बल्कि इसलिए कि वे जहां रह रहे होते थे, वहां होते नहीं थे। मुझे इसी मिलान कुंदेरा का अपार आकर्षण रहा है। वह साहित्यकार भी क्या साहित्य रचेगा जो धरती पर कहीं भी अपना संसार नहीं रच सके।