चालीस लाशें पुलवामा में, फिर न मालूम कितनी बालाकोट में और फिर चालीस से ज़्यादा सीमा पर और कश्मीर में। हवा में कितना सारा ज़हर ! अगर ये सारी लाशें शहादत की हैं तो इनके सम्मान में खड़े हो भाई, इतनी जानें गईं तो अफ़सोस में सिर झुकाओ और गहरी भावना से प्रार्थना करो कि ऐसा मंज़र फिर न बने।