ख़्वाजा अहमद अब्बास (1914-1987) एक जाने मने फ़िल्म डायरेक्टर, पटकथा लेखक, उपन्यासकार एवं पत्रकार थे। इन सब में पत्रकारिता उनका सबसे प्रिये काम था। तभी तो उन्होंने अपनी आख़िरी वसीयत, जो ब्लिट्ज़ में उनके देहांत के अगले दिन छपा था, उसमें ख़्वाहिश ज़ाहिर की थी कि उनका कफ़न लास्ट पेज़ (अंग्रेज़ी लिखे में उनके कॉलम का नाम) और आज़ाद क़लम (हिंदी और उर्दू में लिखे उनके कॉलम का नाम) का बनाया जाए। और वो चाहते थे कि उनके मरने  के बाद ये कॉलम पी. साईनाथ लिखें। इसी बाबत उन्होंने एक अलग से पत्र साईनाथ को लिखकर कहा कि "मुझसे एक वादा करो कि मेरे मरने के बाद तुम इस कॉलम को लिखना जारी रखोगे।" पी. साईनाथ ने इसके जवाब में कहा कि "मैं वादा करता हूँ। लेकिन आप पहले मरने की बात कहना बन्द करें। अब्बास ने ब्लिट्ज़ के संपादक करंजिया से अनुरोध किया कि 'लास्ट पेज' कॉलम पी. साईनाथ से ही लिखवाया जाए। क्योंकि वही इस कॉलम की वैचारिक पवित्रता को बरकरार रख सकते हैं। अब्बास की तरह ही साईनाथ ने भी भूख, अकाल, ग़रीबी, मानव पीड़ा, शोषण को केन्द्र में रखकर पत्रकारिता की।