पेंगुइन से 1987 में प्रकाशित राजमोहन गांधी की पुस्तक अंडरस्टैंडिंग मुस्लिम माइंड के पहले संस्करण की प्रारंभिक पंक्तियाँ कहती हैं: “भारत और पकिस्तान के बीच कोई भी परमाणु टकराहट यदि हुई (ईश्वर न करे ऐसा हो) तो वो इतिहास के कारण ही होगी”। यह एक वाक्य हमें इतिहास की अनिवार्यता,महत्ता और उसकी संवेदनशीलता को दर्शाता है। इसके साथ ही यह हमें इतिहास के दुरुपयोग और भयावहता के प्रति सचेत भी करता है। इतिहास से 'लगाव' इतिहासकारों से ज़्यादा सत्ता में बैठे लोगों को होता है। तभी तो भारत में हर सत्ता परिवर्तन के साथ इतिहास को 'सही' लिखने पर ज़ोर दिया जाता है। एक पक्ष का इतिहास को 'ठीक' करना दूसरे पक्ष के लिए इतिहास का 'डिस्टॉर्शन' माना जाता है।