पेंगुइन से 1987 में प्रकाशित राजमोहन गांधी की पुस्तक अंडरस्टैंडिंग मुस्लिम माइंड के पहले संस्करण की प्रारंभिक पंक्तियाँ कहती हैं: “भारत और पकिस्तान के बीच कोई भी परमाणु टकराहट यदि हुई (ईश्वर न करे ऐसा हो) तो वो इतिहास के कारण ही होगी”। यह एक वाक्य हमें इतिहास की अनिवार्यता,महत्ता और उसकी संवेदनशीलता को दर्शाता है। इसके साथ ही यह हमें इतिहास के दुरुपयोग और भयावहता के प्रति सचेत भी करता है। इतिहास से 'लगाव' इतिहासकारों से ज़्यादा सत्ता में बैठे लोगों को होता है। तभी तो भारत में हर सत्ता परिवर्तन के साथ इतिहास को 'सही' लिखने पर ज़ोर दिया जाता है। एक पक्ष का इतिहास को 'ठीक' करना दूसरे पक्ष के लिए इतिहास का 'डिस्टॉर्शन' माना जाता है।
पुस्तक समीक्षा: ‘इतिहास को न तो मिटा और न ही ठीक कर सकते हैं’
- साहित्य
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- 3 Oct, 2023

क्या इतिहास को मिटाया जा सकता है, या झुठलाया जा सकता है? क्या ठीक इसे ठीक किया जा सकता है? पढ़िए "दी इंडियंस: हिस्ट्रीज़ ऑफ़ ए सिविलाइज़ेशन” पुस्तक की समीक्षा में।
अभी हाल ही में एक किताब प्रकाशित हुई है। किताब का नाम है "दी इंडियंस: हिस्ट्रीज़ ऑफ़ ए सिविलाइज़ेशन”। किताब को अलेफ़ पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है। किताब अंग्रेज़ी में है। यह एक सम्पादित पुस्तक है जिसका संपादन तीन लोगों ने मिलकर किया है। एक संपादक गणेश नारायण देवी हैं। गणेश देवी एक साहित्यिक आलोचक और सांस्कृतिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने भाषा विज्ञान, नृविज्ञान और साहित्य आलोचना पर कई महत्वपूर्ण शोधपत्र और पुस्तकें लिखी हैं। वह वडोदरा में भाषा अनुसन्धान एवं प्रकाशन केंद्र और गुजरात के तेजगढ़ में आदिवासी अकादमी के संस्थापक हैं जो आदिवासी शिक्षा पर काम करता है।