जो साहित्य अकादेमी सम्मान संजीव को कम से कम 20 साल पहले मिल जाना चाहिए था, वह अब जाकर मिला है। हालांकि इस दुर्घटना के शिकार होने वाले वे अकेले लेखक नहीं हैं। हिंदी समाज में जैसे यह प्रवृत्ति हो गई है कि जब तक लेखक 75 पार न करे, उसे सम्मानित न किया जाए। पिछले पंद्रह बरसों में साहित्य अकादेमी की ओर से हिंदी में दिए गए पुरस्कारों की सूची बताती है कि अस्सी फ़ीसदी से ज्यादा उन लेखकों को सम्मान मिले जो 75 पार के हो गए।