अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में न जाने का फ़ैसला कर कांग्रेस नेताओं ने एक विवेकपूर्ण निर्णय लिया है। कांग्रेस नेता अगर इस अवसर पर जाते तो वे उस विभाजनकारी राजनीति को ही एक तरह की मौन स्वीकृति दे रहे होते जो भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस मुद्दे पर की है- बार-बार ये दुहराते रहने के बावजूद कि राम मंदिर राजनीति का नहीं, आस्था का विषय है।