कहानी या आख्यायिका आधुनिक साहित्यिक रूप है। उसकी प्रेरणा पश्चिम से मिली है। यह स्वीकार करने में प्रेमचंद को कोई हिचक नहीं है। लेकिन जो प्रेमचंद ऐसी कहानी लिखने बैठते हैं मानो उन्होंने पुराण, दास्तान, मसनवी सबकुछ घोंट रखा है।
प्रेमचंद 140 : 27वीं कड़ी : किसान जीवन के वर्णन की प्रेमचंद की काव्यात्मक भाषा
- साहित्य
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- 7 Sep, 2020

प्रेमचंद की कहानी सांसारिक यथार्थवाद और सामाजिक नैतिकता की इस अतार्किक और रहस्यवादी या आप उसे धार्मिक कह लें, समझ के बीच चलनेवाली एक सतत टकराहट को दर्ज करती रहती है। सांसारिक यथार्थवाद अधिक निष्ठुर, अधिक अमानवीय हो सकता है। आश्चर्य नहीं कि बीसवीं सदी में जो जनसंहारक नेता या दल हुए वे प्रायः शुष्क यथार्थवादी थे, बल्कि नास्तिक भी।