महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन को बड़ी जनजागृति के रूप में देखा गया है। अंग्रेज़ी हुकूमत से लड़ने का एक अहिंसक तरीका जिसने जनता के विद्रोही ऊर्जा को स्फुरित किया। असहयोग, सविनय अवज्ञा और चरखे के मेल से गांधी ने आन्दोलन की ऐसी पद्धति का आविष्कार किया जिसमें साधारण जन भी भाग ले सकते थे। एक तरह से यह कम से कम ऊर्जा खर्च करके या अधिक सरल शब्दों का इस्तेमाल करें तो बहुत सस्ते में राष्ट्रवादी होने का एक सुगम पथ था।

स्कूल कॉलेज के बहिष्कार, विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और विदेशी कपड़ों की होली के माध्यम से गांधी ने करोड़ों लोगों को राजनीति में भाग लेने की आसान राह सुझाई।