आधुनिक समय का बीज शब्द सुख या दुख नहीं, विडंबना है। हम सब तमाम तरह की विडंबनाओं में जीने को अभिशप्त हैं। जो रचना इन विडंबनाओं को अच्छे ढंग से पकड़ती है, वह बड़ी होती है। प्रेमचंद की कहानी 'कफ़न' इसलिए बड़ी है कि वह सुख-दुख की नहीं, विडंबना की कहानी है।
प्रेमचंद की 'कफ़न' सुख-दुख की कहानी है या विडंबना की?
- साहित्य
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- 14 Oct, 2022
क्या हिंदी साहित्य में विडंबनाओं को समाहित किया गया है? हिंदी लेखकों में विडंबना का कितना बोध है? हिंदी साहित्य में इन विडंबनाओं का कैसा इस्तेमाल हुआ है?

मगर विडंबना कहते किसको हैं? इसे परिभाषित कैसे कर सकते हैं? विडंबनाएं दरअसल कई तरह की होती हैं। जो यथार्थ है और जो दिख रहा है, उसके बीच का अंतर भी विडंबना है। आप भीतर से बहुत दुखी हैं और खुश दिखने को मजबूर हैं, यह विडंबना है। यथार्थ के बोध से अपरिचय भी विडंबना है। दुख या सुख का अनुभव न कर पाना विडंबना है। अन्याय, शोषण और विषमता के तमाम रूप भी विडंबना के बहुत प्रगट और प्रत्यक्ष प्रकार हैं।